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'ऑपरेशन सिंदूर' पर क़रीब दो घंटे चला पीएम मोदी का भाषण, मगर इन सवालों का नहीं मिला सीधा जवाब

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SANSAD TV पीएम मोदी ने अपने भाषण में 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान नौ मई की रात अमेरिकी उप राष्ट्रपति जेडी वेंस से फ़ोन पर हुई बातचीत का ज़िक्र किया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत–पाकिस्तान संघर्ष के दौरान सीज़फ़ायर को लेकर 'मध्यस्थता' वाले दावे को सिरे से ख़ारिज कर दिया है.

संसद में 'ऑपरेशन सिंदूर' पर चल रही बहस के दौरान दिए गए भाषण में पीएम मोदी ने कहा कि भारत ने कभी किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता स्वीकार नहीं की और न अब करेगा.

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कई बार दोहरा चुके हैं कि उन्होंने 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान भारत-पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम में भूमिका निभाई थी.

केंद्र सरकार पहले भी ट्रंप के दावों को ख़ारिज कर चुकी है और अब पीएम मोदी ने संसद में ट्रंप का नाम लिए बिना इन दावों को निराधार बताया.

पीएम मोदी ने लोकसभा में लगभग दो घंटे का भाषण दिया. उनके भाषण के दौरान विपक्षी सांसद बीच-बीच में सवाल उठा रहे थे.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान नौ मई की रात अमेरिकी उप राष्ट्रपति जेडी वेंस से फ़ोन पर हुई बातचीत का ज़िक्र किया.

पीएम मोदी ने कहा, "नौ मई की रात को अमेरिकी उप राष्ट्रपति एक घंटे से बात करने की कोशिश कर रहे थे. बाद में मैंने उन्हें फोन किया और बताया कि आपका तीन-चार बार फ़ोन आया था. उन्होंने मुझसे कहा कि पाकिस्तान बड़ा हमला करने वाला है. मेरा जवाब था - अगर पाकिस्तान का ये इरादा है तो उसे बहुत महंगा पड़ेगा और हम उससे भी बड़ा हमला करेंगे और उसका जवाब देंगे."

विपक्ष के सवाल और पीएम मोदी का जवाब image BBC

पीएम मोदी ने नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के ट्रंप की 'मध्यस्थता' वाले दावे पर भी जवाब दिया.

उनका कहना था, "दुनिया के किसी भी नेता ने भारत को ऑपरेशन रोकने के लिए नहीं कहा है."

इससे पहले, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने ट्रंप के सीज़फ़ायर के दावों को लेकर मोदी सरकार को घेरा था और संसद में इस पर बयान देने की चुनौती दी थी.

राहुल गांधी ने कहा, "ट्रंप ने 29 बार सीज़फ़ायर कराने का श्रेय लिया. अगर वे झूठ बोल रहे हैं, तो अगर पीएम मोदी में इंदिरा गांधी का 50 प्रतिशत भी साहस है, तो वे कहें कि ऐसा नहीं था. अगर पीएम में दम है, तो कहें कि ट्रंप झूठ बोल रहे हैं."

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डोनाल्ड ट्रंप ने सीज़फ़ायर की घोषणा क्यों की? image BBC

वरिष्ठ पत्रकार विजय त्रिवेदी का कहना है कि पीएम मोदी भले ही संसद में अपनी बात रख चुके हों, लेकिन अभी तक कई सवालों के जवाब नहीं मिले हैं.

विजय त्रिवेदी कहते हैं, "पीएम मोदी की स्पीच में बहुत सारे सवालों के जवाब मिले और बहुत सारे सवालों के जवाब सवाल के रूप में मिले. सरकार ने इसका संतोषजनक जवाब नहीं दिया कि सीज़फ़ायर क्यों किया गया? पहलगाम से पुलवामा तक सुरक्षा में हुई चूक को लेकर किसी की तरफ़ से स्पष्ट जवाब नहीं मिला-चाहे वो रक्षा मंत्री हों, गृह मंत्री हों या प्रधानमंत्री."

भारत और पाकिस्तान के बीच 'संघर्ष विराम' की पहली जानकारी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दी थी.

ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर एक पोस्ट में भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम की घोषणा करते हुए दावा किया था कि 'रात भर चली बातचीत' में अमेरिका ने मध्यस्थता की. तब से अब तक राष्ट्रपति ट्रंप भारत-पाकिस्तान के बीच कई बार सीज़फ़ायर करवाने का दावा कर चुके हैं.

सोमवार को स्कॉटलैंड में ब्रिटिश प्रधानमंत्री किएर स्टार्मर के साथ बातचीत से पहले मीडिया को संबोधित करते हुए ट्रंप ने भारत और पाकिस्तान सहित दुनिया भर में छह बड़े युद्ध रोकने में अपनी भूमिका की बात कही थी.

विपक्ष ने सवाल उठाया कि मोदी सरकार ने इस पर चुप्पी क्यों साधी? क्या यह दावा सच है या झूठ?

ट्रंप का ज़िक्र क्यों नहीं किया?

प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी स्पीच में न तो अमेरिका का नाम लिया और न ही डोनाल्ड ट्रंप का ज़िक्र किया.

वरिष्ठ पत्रकार विजय त्रिवेदी का कहना है, "डिप्लोमेसी में ऐसा नहीं होता कि किसी नेता का नाम लेकर सरकार बयान दे. और ट्रंप दुनिया के सबसे ताक़तवर देश के राष्ट्रपति हैं. इस पूरी बहस में सरकार ने चीन का नाम भी नहीं लिया है, जिसने पाकिस्तान की तरफ़ से पूरा युद्ध लड़ा है. जब चीन पर नहीं बोल रहे, तो ट्रंप पर कैसे बोलेंगे?"

तीसरे देश के हस्तक्षेप पर बोलते हुए पीएम मोदी ने कहा, "दुनिया के किसी भी नेता ने भारत को ऑपरेशन रोकने के लिए नहीं कहा. 9 तारीख़ की रात को अमेरिका के उपराष्ट्रपति जी ने मुझसे बात करने का प्रयास किया. वे घंटे भर कोशिश कर रहे थे, लेकिन मेरी सेना के साथ मीटिंग चल रही थी. मैं उनका फ़ोन उठा नहीं पाया और बाद में उन्हें कॉल बैक किया. उन्होंने मुझसे कहा कि पाकिस्तान बहुत बड़ा हमला करने वाला है. मेरा उन्हें जवाब था कि अगर पाकिस्तान का ये इरादा है, तो उसे बहुत महंगा पड़ेगा."

आख़िर केंद्र की मोदी सरकार डोनाल्ड ट्रंप का नाम लेने से क्यों बच रही है?

कनिका राखरा, कौटिल्य स्कूल ऑफ़ पब्लिक पॉलिसी में असिस्टेंट प्रोफ़ेसर हैं. इस सवाल पर वह कहती हैं, "इंटरनेशनल फ्रंट पर भारत कई चुनौतियों से जूझ रहा है. बहुत सारी चीज़ें बातचीत की मेज़ पर हैं. इसलिए ट्रंप जैसे व्यक्ति का नाम लेकर भारत अपना पक्ष कमज़ोर नहीं करना चाहता है. लेकिन इसका मतलब यह कतई नहीं है कि सरकार ट्रंप को सही ठहरा रही है. बस भारत अनावश्यक रूप से और अधिक समस्याएं खड़ा नहीं करना चाहता है."

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भारत के कितने फ़ाइटर जेट गिरे? image Dassault Rafale भारतीय सेना ने रफ़ाल लड़ाकू विमान गिराने के दावे को खारिज किया था

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इसी महीने दावा किया था कि मई में भारत-पाकिस्तान के बीच चले संघर्ष के दौरान 'पांच लड़ाकू विमान मार गिराए गए थे.'

हालांकि, ट्रंप ने यह स्पष्ट नहीं किया कि किस देश के कितने विमान गिराए गए.

इससे पहले पाकिस्तान भी भारत के 'पांच लड़ाकू विमान मार गिराने' का दावा कर चुका है, जिसे भारत ने हमेशा ख़ारिज किया है.

ट्रंप के इस दावे के बाद विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने संसद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सवाल किए. कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने कहा, "अमेरिका के राष्ट्रपति 26 बार कह चुके हैं कि उन्होंने जंग रुकवाई. राष्ट्रपति ट्रंप यह कह चुके हैं कि पांच-छह जेट गिरे हैं. आप बताइए कि कितने जेट गिरे?"

लोकसभा में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस पर जवाब देते हुए सेना की सराहना की और कहा, "कुछ विपक्षी सदस्य पूछ रहे हैं कि कितने एयरक्राफ़्ट गिराए गए. मुझे लगता है कि यह सवाल हमारी राष्ट्रीय भावना के अनुरूप नहीं है. इन्होंने यह नहीं पूछा कि दुश्मनों के कितने एयरक्राफ़्ट गिराए गए."

कांग्रेस इससे पहले भी केंद्र सरकार से यह स्पष्ट करने की मांग कर चुकी है कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत के कितने जेट गिरे थे. हालांकि, प्रधानमंत्री मोदी और केंद्र सरकार ने अब तक इस सवाल का कोई सीधा जवाब नहीं दिया है.

भारत की तुलना में पाकिस्तान के साथ ज़्यादा देश क्यों? image BBC

भारत-पाकिस्तान संघर्ष के दौरान तुर्की, अज़रबैजान और चीन ने खुले तौर पर पाकिस्तान का समर्थन किया था, जबकि भारत के पक्ष में केवल इसराइल स्पष्ट रूप से खड़ा नजर आया. यहां तक कि रूस ने भी भारत का खुलकर समर्थन नहीं किया था.

इस मुद्दे पर बोलते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, "दुनिया में किसी भी देश ने भारत को अपनी सुरक्षा में कार्रवाई करने से रोका नहीं है. संयुक्त राष्ट्र में 193 देश हैं और सिर्फ तीन देशों ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान के समर्थन में बयान दिया था. क्वाड, ब्रिक्स, फ़्रांस, रूस और जर्मनी... कोई भी देश का नाम ले लीजिए, दुनिया भर से भारत को समर्थन मिला."

इससे जुड़ा सवाल कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सोमवार को संसद में उठाया.

उन्होंने कहा, "विदेश मंत्री ने अपने भाषण में कहा था कि सभी देशों ने आतंकवाद की निंदा की है, यह बिल्कुल सही है. लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि पहलगाम हमले के बाद किसी एक भी देश ने पाकिस्तान की निंदा नहीं की. इसका मतलब क्या है? इसका मतलब है कि दुनिया हमें पाकिस्तान के साथ रख रही है. जब यूपीए सरकार थी, तब दुनिया के अलग-अलग देश पाकिस्तान की आतंकवाद के लिए आलोचना करते थे. जो व्यक्ति पहलगाम हमले के पीछे था-जनरल मुनीर, वह राष्ट्रपति ट्रंप के साथ लंच कर रहा है. हमारे प्रधानमंत्री वहां नहीं जा सकते, लेकिन जनरल मुनीर लंच कर रहा है."

इस पर कनिका राखरा कहती हैं, "हर देश अपने हितों को ध्यान में रखते हुए ही भारत का समर्थन करेगा, क्योंकि उन्हें भी वर्ल्ड ऑर्डर के बारे में सोचना है. कई देशों ने भारत की निंदा नहीं की है. इसे भारत के समर्थन के रूप में ही देखना चाहिए. यह बहुत बड़ी बात है."

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पाकिस्तान के साथ क्रिकेट क्यों?

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने ऑपरेशन सिंदूर' पर संसद में विशेष चर्चा के दौरान सवाल उठाया कि जब पहलगाम हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के ख़िलाफ़ सख़्त रुख अपनाया था, तो अब 14 सितंबर को क्रिकेट के एशिया कप में भारत की टीम पाकिस्तान के ख़िलाफ़ कैसे खेलेगी?

ओवैसी ने कहा, "पाकिस्तान से ट्रेड बंद है. वहां के प्लेन यहां नहीं आ सकते. जल क्षेत्र में जहाज़ नहीं आ सकता है. आपका ज़मीर ज़िंदा क्यों नहीं है? किस सूरत से आप पाकिस्तान से क्रिकेट खेलेंगे?"

भारत-पाकिस्तान संबंधों में तनाव के बीच एशियन क्रिकेट काउंसिल (एसीसी) ने हाल ही में एशिया कप 2025 का शेड्यूल जारी किया है, जिसमें भारत और पाकिस्तान को एक ही ग्रुप में रखा गया है. दोनों टीमों के बीच पहला मुक़ाबला 14 सितंबर को तय है. अगर दोनों टीमें फ़ाइनल तक पहुंचती हैं, तो दो और मैच भी हो सकते हैं.

वरिष्ठ पत्रकार विजय त्रिवेदी ने भी इस विषय पर सवाल उठाया.

उन्होंने कहा, "जब हमने राजनयिक रिश्ते सस्पेंड कर दिए हैं, तो हम क्रिकेट मैच क्यों खेल रहे हैं? ट्रेड और टेरर साथ नहीं चलेंगे, ट्रेड और टॉक साथ नहीं चलेगी, खून और पानी साथ नहीं चलेगा, लेकिन खेल और ख़ून साथ चलेंगे? सरकार की तरफ़ से इसका जवाब क्यों नहीं दिया गया?"

बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित

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