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ग़लत ढंग से बैठने के कारण बढ़ रहा गर्दन का कूबड़, जानें बचाव के तरीके

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image Getty Images अगर रीढ़ की हड्डी में टेढ़ापन 45 डिग्री से ज़्यादा हो, तो यह परेशानी का सबब बन जाता है

आजकल लोग गर्दन के ठीक नीचे और पीठ के ठीक ऊपर गोले जैसा उभार देखते हैं. इसे देखकर अक्सर सवाल उठता है कि ऐसा क्यों होता है?

इस रिपोर्ट में हम यह जानने की कोशिश करेंगे कि इस समस्या का कारण क्या है और इससे कैसे छुटकारा पाया जा सकता है.

इस तरह की स्थिति या बीमारी को काइफोसिस या गर्दन का कूबड़ कहा जाता है. अंग्रेज़ी में इसे डॉजर्स हंप कहा जाता है.

दरअसल, हम सभी की रीढ़ की हड्डी में किसी न किसी तरह का टेढ़ापन होता है. लेकिन अगर यह टेढ़ापन 45 डिग्री से ज़्यादा हो, तो यह परेशानी का सबब बन जाता है और इलाज की ज़रूरत पड़ती है.

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कभी-कभी पीठ में उभार के अलावा कोई अन्य लक्षण दिखाई नहीं देते. हालाँकि, कई मरीज़ों को पीठ दर्द, पीठ की मांसपेशियों में जकड़न, रीढ़ के पास दर्द और थकान जैसे लक्षण महसूस होते हैं.

अगर काइफोसिस की स्थिति गंभीर हो जाए तो इससे पैदा होने वाली समस्याएं बढ़ जाती हैं.

ऐसा क्यों होता है? image Getty Images आगे की ओर झुकने से गर्दन और पीठ दोनों में दर्द होता है

काइफोसिस एक प्रकार का कुबड़ापन है, जो गर्दन के नीचे कई कारणों से विकसित हो सकता है. इसका मुख्य कारण ग़लत तरीके से बैठना है. कई लोग कुर्सी पर झुककर या कंधे झुकाकर बैठते हैं, जिससे यह समस्या अक्सर होती है.

कंधे पर भारी बैग उठाने से पीठ और कंधों की मांसपेशियों में दर्द हो सकता है. इससे रीढ़ की हड्डी टेढ़ी हो सकती है. कभी-कभी रीढ़ की हड्डी के ठीक से विकास न होने के कारण भी यह स्थिति बनती है. गर्भावस्था के दौरान शिशु के रहते हुए रीढ़ की हड्डी का विकास ठीक से न हो पाए, या कुछ मामलों में दो या अधिक कशेरुकाएँ आपस में जुड़ जाएँ, तो भी यह समस्या हो सकती है.

रीढ़ की हड्डी का यह टेढ़ापन उम्र के साथ बढ़ता जाता है. इसी कारण कई बुज़ुर्ग लोगों की पीठ पर उभार नज़र आता है.

मुंबई के कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल के डॉ. अभिजीत पवार बताते हैं, "इसका मुख्य कारण बैठने के तरीके का ग़लत होना है. लंबे समय तक आगे की ओर झुककर बैठना, झुककर फ़ोन देखना, सिर नीचे करके फ़ोन इस्तेमाल करना और लंबे समय तक कंप्यूटर पर काम करना भी इस झुकाव का कारण बन सकता है."

डॉ. पवार के मुताबिक़, "ग़लत तरीके से बैठने के बाद इसका दूसरा प्रमुख कारण ऑस्टियोपोरोसिस है. इसमें हड्डियों के कमज़ोर होने से रीढ़ की हड्डी में चोट लगती है और उसका टेढ़ापन असामान्य रूप से बढ़ जाता है. मोटापा भी रीढ़ की हड्डी पर तनाव बढ़ाता है. साथ ही, कुछ मेडिकल कारणों से भी काइफोसिस हो सकता है."

image BBC

नवी मुंबई स्थित अपोलो हॉस्पिटल्स के कंसल्टेंट स्पाइन सर्जन डॉ. अग्निवेश टिक्कू ने बताया, "गर्दन के कूबड़ को बफ़ैलो हंप भी कहा जाता है. यह समस्या मुख्य रूप से लंबे समय तक बैठकर काम करने वाले लोगों को होती है. जो लोग लंबे समय तक बैठे रहते हैं, कंप्यूटर पर देर तक काम करते हैं और मोबाइल फ़ोन का बहुत अधिक इस्तेमाल करते हैं, उन्हें भी यह समस्या हो सकती है."

"लगातार आगे की ओर झुककर मोबाइल फ़ोन और कंप्यूटर चलाना, इस्तेमाल के दौरान सिर आगे करना और गर्दन झुकाना—इन आदतों से गर्दन के पास की मांसपेशियों में असंतुलन पैदा होता है और गर्दन के अंत में चर्बी जमा हो जाती है."

डॉ. टिक्कू के अनुसार, "पीसीओएस, लंबे समय तक स्टेरॉयड का इस्तेमाल, मोटापा और आनुवंशिक विकारों से जूझ रही महिलाओं में यह समस्या अधिक देखी जाती है."

कुछ लोगों में मांसपेशियों की कमज़ोरी भी इस समस्या का कारण बनती है. इसके अलावा, एंकिलोज़िंग स्पॉन्डिलाइटिस के मरीज़ों को भी यह परेशानी हो सकती है.

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image Getty Images इसे कैसे दूर करें?

गर्दन में कूबड़ या काइफोसिस का निदान मरीज़ की पूरी जाँच से किया जाता है.

इसके लिए एक्स-रे, एमआरआई और सीटी स्कैन करवाए जाते हैं. अगर डॉक्टर को संदेह हो कि समस्या हार्मोन के कारण है, तो कोर्टिसोल के स्तर की जाँच के लिए टेस्ट किया जाता है.

विटामिन डी की कमी का पता लगाने के लिए ब्लड टेस्ट भी किया जाता है.

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गर्दन के कूबड़ से कैसे बचें?

गर्दन और पीठ में इस तरह के उभार से बचने के लिए सही मुद्रा (पोस्चर) में बैठना ज़रूरी है.

डॉ. अभिजीत पवार कहते हैं, "व्यायाम और पर्याप्त घूमना-फिरना चाहिए. आपकी स्क्रीन आँखों के स्तर पर हो और मेज़-कुर्सी भी उसी तरह डिज़ाइन की गई हो."

डॉ. पवार का कहना है कि गर्दन और पीठ की मांसपेशियों को स्वस्थ रखने के लिए स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज़ करनी चाहिए और ज़्यादा देर तक बैठे नहीं रहना चाहिए.

अगर लंबे समय तक बैठना ज़रूरी हो, तो बीच-बीच में उठकर टहलते रहना चाहिए.

इसका इलाज क्या है? image Getty Images अगर गर्दन के आसपास फैट जमा है तो वजन कम करने पर ध्यान देना चाहिए

अगर आप गर्दन में कूबड़ या काइफोसिस से पीड़ित हैं, तो डॉक्टर सही मुद्रा बनाए रखने, स्क्रीन की ऊँचाई ठीक रखने और नियमित व्यायाम करने की सलाह देते हैं.

जिन लोगों की गर्दन के आसपास चर्बी जमा होने से उभार होता है, उन्हें वज़न कम करने पर ध्यान देना चाहिए. अगर समस्या हार्मोनल कारणों से है, तो उसका इलाज संभव है. यदि टीबी और काइफोसिस का आपस में संबंध पाया जाता है, तो उसी आधार पर इलाज किया जाता है.

गर्दन में कूबड़ या काइफोसिस का अगर जल्दी पता चल जाए तो इसका इलाज आसानी से किया जा सकता है.

नियमित व्यायाम और बैठने की स्थिति में बदलाव से यह समस्या कम हो सकती है. कुछ मरीज़ों को मेडिकल या सर्जिकल ट्रीटमेंट की भी ज़रूरत पड़ सकती है. इसलिए, अगर गर्दन या पीठ में उभार दिखे, दर्द, थकान या हार्मोनल समस्या महसूस हो, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए.

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रोज़मर्रा की ज़िंदगी में क्या बदलाव किए जा सकते हैं? image Getty Images

खान-पान और जीवनशैली का शरीर से सीधा संबंध है. गर्दन के कूबड़ को कम करने या रोकने के लिए कैल्शियम और विटामिन डी से भरपूर भोजन लेना ज़रूरी है. अगर डॉक्टर सलाह दें, तो सप्लीमेंट्स भी लिए जा सकते हैं.

अधिक वज़न वाले लोगों के लिए वज़न कम करने से रीढ़ की हड्डी पर दबाव कम हो सकता है. इसके अलावा, पैदल चलना, योग और स्विमिंग जैसी एक्सरसाइज अच्छी मुद्रा (पोस्चर) बनाए रखने में मदद करती हैं. जिम में व्यायाम जैसे वेटलिफ्टिंग, मांसपेशियों को मज़बूत बनाने और उनकी ताकत बढ़ाने में सहायक होता है.

सबसे ज़रूरी है कि स्क्रीन का इस्तेमाल सीमित करें. मोबाइल इस्तेमाल करते समय सिर नीचे न झुकाएँ.

यदि आप अपनी जीवनशैली, खान-पान या व्यायाम की आदतों में बदलाव करना चाहते हैं, तो डॉक्टर और योग्य ट्रेनर की मदद लेना ज़रूरी है. सबसे अच्छा यह है कि आप अपने शरीर और लक्षणों की डॉक्टर से जाँच करवाएँ और उनकी सलाह के आधार पर जीवनशैली में बदलाव करें.

बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित

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