उदयपुर शहर में बीते 25 दिनों से लापता युवक का शव आखिरकार सोमवार को बरामद कर लिया गया। जानकारी के अनुसार, 6 सितंबर को आयड़ नदी में बहे युवक की तलाश लगातार की जा रही थी। सोमवार सुबह कानपुरखेड़ा पुलिया के पास झाड़ियों में शव फंसा हुआ दिखाई दिया। स्थानीय लोगों ने इसकी सूचना तुरंत पुलिस को दी। मौके पर पहुंची पुलिस और रेस्क्यू टीम ने शव को बाहर निकाला और एमबी अस्पताल की मोर्चरी में पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया।
पुलिस ने मृतक की पहचान प्रतापनगर क्षेत्र निवासी रवि वाल्मीकि के रूप में की है। 6 सितंबर को हुई भारी बारिश के बाद आयड़ नदी उफान पर थी। उसी दौरान रवि नदी के बहाव में बह गया था। घटना के बाद से ही परिवारजन और प्रशासन युवक की तलाश में जुटे हुए थे, लेकिन लगातार प्रयासों के बावजूद शव का कोई सुराग नहीं मिल पाया।
स्थानीय गोताखोरों और SDRF टीम ने कई दिनों तक तलाशी अभियान चलाया। नदी और आसपास के इलाकों में तलाश अभियान जारी रहा, लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी। परिजनों की व्यथा और बढ़ गई थी, क्योंकि 25 दिनों तक उन्हें अपने बेटे की कोई खबर नहीं मिली।
सोमवार सुबह जब कानपुरखेड़ा पुलिया के पास राहगीरों ने झाड़ियों में फंसे शव को देखा तो इसकी सूचना पुलिस को दी। मौके पर पहुंची टीम ने शव को बाहर निकाला और शिनाख्त की प्रक्रिया पूरी की। शव की हालत काफी खराब हो चुकी थी, लेकिन कपड़ों और अन्य आधारों के जरिए पहचान की गई।
परिजनों में शोक की लहर
शव मिलने की खबर से परिवार और परिचितों में गहरा शोक छा गया। प्रतापनगर क्षेत्र में रहने वाले रवि वाल्मीकि के घर पर लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। परिजन लगातार उम्मीद लगाए बैठे थे कि शायद किसी तरह रवि मिल जाएगा, लेकिन शव की बरामदगी से उनकी उम्मीदें टूट गईं। परिजनों ने प्रशासन से अपील की कि इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए नदी किनारे सुरक्षा इंतजाम किए जाएं।
पुलिस की कार्रवाई
पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर एमबी अस्पताल की मोर्चरी में पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी। पुलिस का कहना है कि शुरुआती जांच में यह मामला 6 सितंबर को हुई घटना से जुड़ा हुआ है, जब युवक नदी के तेज बहाव में बह गया था।
सवाल खड़े करती लापरवाही
यह घटना कई सवाल खड़े करती है। मानसून के दौरान आयड़ नदी का जलस्तर कई बार खतरे के निशान से ऊपर चला जाता है, लेकिन नदी किनारे सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम नहीं किए जाते। स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रशासन को नदी किनारे चेतावनी बोर्ड, बैरिकेड और निगरानी की व्यवस्था करनी चाहिए ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके।
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