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सीकर में बुजुर्ग ने जीवन में ही लिया था बड़ा फैसला, मौत के बाद मेडिकल कॉलेज को दान किया शरीर

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मानवता और समाजसेवा की मिसाल पेश करते हुए सीकर जिले के तारपुरा के पास भगतों की ढाणी निवासी चौधरी तुलसीराम भगत (80) के निधन के बाद उनके परिजनों ने उनका शरीर सीकर मेडिकल कॉलेज को दान कर दिया है। विशेष बात यह है कि तुलसीराम भगत ने मृत्यु से तीन साल पहले ही स्वयं यह निर्णय लिया था कि वे मरने के बाद अपना शरीर मेडिकल छात्रों की पढ़ाई और अनुसंधान के लिए समर्पित करेंगे।

परिजनों ने बताया कि तुलसीराम भगत हमेशा समाजसेवा और शिक्षा के क्षेत्र में आगे रहते थे। उनका मानना था कि मृत्यु के बाद भी किसी का शरीर यदि समाज के काम आ सके तो यह सबसे बड़ा पुण्य है। इसलिए उन्होंने वर्ष 2022 में ही एक शपथ पत्र बनवाकर मेडिकल कॉलेज को अपने शरीर दान करने की इच्छा व्यक्त की थी।

उनके निधन के बाद शुक्रवार को परिजनों और ग्रामीणों की मौजूदगी में शव को पूरे सम्मान के साथ सीकर मेडिकल कॉलेज को सौंपा गया। कॉलेज प्रशासन ने इस अद्भुत मानवता के कार्य के लिए भगत परिवार का आभार व्यक्त किया और कहा कि उनका यह कदम कई लोगों को प्रेरणा देगा।

मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य ने बताया कि तुलसीराम भगत जैसे लोगों की सोच समाज में विज्ञान और चिकित्सा शिक्षा के लिए बेहद उपयोगी है। ऐसे दान से मेडिकल छात्रों को शरीर रचना (एनाटॉमी) और शल्यक्रिया की व्यावहारिक जानकारी प्राप्त करने में मदद मिलती है। उन्होंने कहा, “हर साल कई छात्र ऐसे शरीर दान के माध्यम से ही चिकित्सकीय शिक्षा में आगे बढ़ पाते हैं।”

ग्रामीणों ने भी तुलसीराम भगत को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि उन्होंने जीवनभर सादगी और सेवा का मार्ग अपनाया। अपने अंतिम समय में भी उन्होंने ऐसा निर्णय लिया, जिससे भावी पीढ़ियों को शिक्षा और ज्ञान का अवसर मिलेगा।

चौधरी तुलसीराम भगत का यह कदम न केवल चिकित्सा क्षेत्र के लिए अमूल्य योगदान है, बल्कि समाज के लिए एक प्रेरणास्रोत उदाहरण बन गया है। उनकी सोच यह संदेश देती है कि “मृत्यु अंत नहीं, बल्कि किसी और की सीख की शुरुआत हो सकती है।”

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