राजस्थान में भूजल संरक्षण और सतत उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए अब बिना अनुमति भूजल दोहन पर सख्त पाबंदी लागू कर दी गई है। अब कोई भी व्यक्ति टयूबवेल या बोरवेल खोदने से पहले राजस्थान भूजल प्राधिकरण से अनुमति लेना अनिवार्य होगा।
राजस्थान भूजल प्राधिकरण के अधिकारियों ने बताया कि इस कदम का उद्देश्य प्रदेश में भूजल स्तर को सुरक्षित और स्थिर बनाए रखना है। बिना अनुमति टयूबवेल या बोरवेल खोदने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई, जुर्माना और सजा का प्रावधान किया गया है।
प्राधिकरण ने स्पष्ट किया कि भूजल दोहन के नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इसमें संबंधित व्यक्ति के टयूबवेल को सीज करना, आर्थिक दंड लगाना और गंभीर मामलों में सजा का प्रावधान शामिल है। अधिकारियों ने कहा कि यह नियम खासकर कृषि और उद्योगिक क्षेत्रों में भूजल के अति दोहन को रोकने के लिए बनाया गया है।
भूजल प्राधिकरण ने यह भी बताया कि अब सभी नए टयूबवेल और बोरवेल के लिए अनुमति प्राप्त करना अनिवार्य होगा। अनुमति प्राप्त करने की प्रक्रिया में आवेदन, तकनीकी निरीक्षण और भूजल स्तर की स्थिति का मूल्यांकन शामिल होगा। इससे यह सुनिश्चित होगा कि भूजल का दोहन संतुलित और सतत तरीके से किया जा रहा है।
स्थानीय अधिकारियों ने किसानों और उद्योगपतियों से अपील की है कि वे कानून का पालन करें और बिना अनुमति किसी भी टयूबवेल या बोरवेल की खुदाई न करें। अधिकारियों ने कहा कि इस नियम का पालन न करने पर केवल जुर्माना ही नहीं, बल्कि आपराधिक मामला भी दर्ज किया जाएगा।
विशेषज्ञों का कहना है कि राजस्थान जैसे सूखे और अर्धशुष्क प्रदेशों में भूजल का संरक्षण अत्यंत महत्वपूर्ण है। भूजल दोहन पर नियंत्रण से न केवल जल संकट की संभावना कम होगी, बल्कि कृषि और पीने के पानी की सुरक्षा भी सुनिश्चित होगी।
भूजल प्राधिकरण ने यह भी जानकारी दी कि अब भूजल दोहन की निगरानी और जांच और भी सख्त कर दी जाएगी। नियमों का उल्लंघन करने वाले लोगों की सार्वजनिक जानकारी भी साझा की जाएगी ताकि जागरूकता बढ़े और लोग नियमों का पालन करें।
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