राजस्थान की धरती पर बसा बांसवाड़ा, एक ऐसा नगर है जो अपनी ऐतिहासिक विरासत, लोक संस्कृति, आदिवासी परंपराओं और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए जाना जाता है। दक्षिण राजस्थान के इस जिले को 'सौ द्वीपों का नगर' (City of Hundred Islands) भी कहा जाता है, क्योंकि यहाँ माही नदी पर बने कई द्वीप मौजूद हैं। अगर आप इतिहास, प्रकृति और शांति की तलाश में हैं, तो बांसवाड़ा आपके लिए परफेक्ट डेस्टिनेशन है।
बांसवाड़ा का इतिहासबांसवाड़ा का इतिहास 16वीं सदी से जुड़ा है। इसका नाम बांस के घने जंगलों की वजह से पड़ा, जिन्हें यहां बड़ी मात्रा में पाया जाता था। बांसवाड़ा रियासत की स्थापना 1527 ई. में महारावल जगमाल ने की थी। यह मेवाड़ राज्य के प्रभाव में रहा और बाद में ब्रिटिश राज के दौरान एक रियासत बना। बांसवाड़ा की संस्कृति पर राजपूतों और आदिवासियों, खासकर भीलों का गहरा प्रभाव रहा है।
यह क्षेत्र ऐतिहासिक दृष्टि से भीलों के संघर्ष और उनकी शौर्यगाथाओं के लिए भी प्रसिद्ध है। आज भी यहां की जनसंख्या में आदिवासी समुदाय प्रमुख रूप से शामिल हैं।
बांसवाड़ा की प्रमुख जगहें (Top Tourist Places)माही डैम और द्वीप
माही नदी पर बना यह डैम बांसवाड़ा का प्रमुख आकर्षण है। यहां से माही नदी के सुंदर दृश्य और नदी पर बने छोटे-छोटे द्वीपों का नज़ारा मंत्रमुग्ध कर देता है।
त्रिपुरा सुंदरी मंदिर
यह मंदिर शक्ति की देवी त्रिपुरा सुंदरी को समर्पित है और राजस्थान के 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। नवरात्रों में यहाँ भारी भीड़ होती है।
कागदी पिकनिक स्पॉट
माही डैम के पास स्थित यह स्थान प्रकृति प्रेमियों के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं। यहाँ हरियाली, झील और ठंडी हवाएं आत्मा को शांति देती हैं।
तालवाड़ा के बौद्ध स्तूप
बांसवाड़ा के पास स्थित तालवाड़ा प्राचीन बौद्ध संस्कृति और स्थापत्य का एक बड़ा केंद्र रहा है। यहाँ के स्तूप और मूर्तियाँ बौद्धकालीन विरासत को दर्शाते हैं।
बांसवाड़ा महल
यह ऐतिहासिक राजमहल स्थानीय राजाओं की भव्यता का प्रतीक है। इसमें राजस्थानी स्थापत्य और झरोखों की सुंदरता देखने लायक है।
चित्तौड़ा
यह स्थान अपने खूबसूरत मंदिरों और घाटियों के लिए प्रसिद्ध है। यहां की पहाड़ियां और हरियाली फोटो ग्राफर्स और ट्रेकिंग प्रेमियों के लिए आदर्श हैं।
बांसवाड़ा एक बजट-फ्रेंडली डेस्टिनेशन है। यदि आप 2-3 दिन के लिए यात्रा करते हैं, तो आपका कुल खर्च इस प्रकार हो सकता है:
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आवास (होटल/गेस्ट हाउस): ₹500–₹1500 प्रति रात
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भोजन: ₹300–₹600 प्रतिदिन
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स्थानीय परिवहन/ऑटो: ₹200–₹500 प्रतिदिन
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यात्रा खर्च (बस/ट्रेन/टैक्सी): ₹500–₹1000 (आने-जाने के लिए)
कुल अनुमानित खर्च (2 दिन): ₹2000–₹4000 प्रति व्यक्ति
बांसवाड़ा घूमने का बेस्ट समयबांसवाड़ा घूमने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च के बीच होता है। इन महीनों में मौसम ठंडा और सुहावना होता है, जिससे आप बिना किसी परेशानी के बाहर घूम सकते हैं।
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मानसून (जुलाई-सितंबर): हरियाली अपने चरम पर होती है। माही डैम और झीलें बहुत सुंदर लगती हैं, लेकिन बारिश यात्रा को थोड़ा मुश्किल बना सकती है।
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गर्मी (अप्रैल-जून): राजस्थान में गर्मी तेज होती है, इसलिए इस दौरान यात्रा से बचना बेहतर होगा।
सड़क मार्ग (By Road):
बांसवाड़ा राजस्थान, मध्य प्रदेश और गुजरात की सीमा पर स्थित है, और सड़क मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। आप बस या अपनी गाड़ी से यहां पहुंच सकते हैं।
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उदयपुर से दूरी: 165 किमी
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इंदौर से दूरी: 300 किमी
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डूंगरपुर से दूरी: 80 किमी
रेल मार्ग (By Train):
फिलहाल बांसवाड़ा में कोई रेलवे स्टेशन नहीं है, लेकिन सबसे निकटतम स्टेशन रतलाम (MP) और उदयपुर हैं। वहां से टैक्सी या बस लेकर आप बांसवाड़ा आ सकते हैं।
हवाई मार्ग (By Air):
सबसे निकटतम हवाई अड्डा उदयपुर (डबोक एयरपोर्ट) है, जो लगभग 165 किमी दूर है। वहां से टैक्सी या बस के माध्यम से आप बांसवाड़ा पहुंच सकते हैं।
बांसवाड़ा राजस्थान का वह छिपा हुआ रत्न है जिसे अभी तक अधिक प्रचार नहीं मिला है, लेकिन इसकी प्राकृतिक सुंदरता, ऐतिहासिकता और सांस्कृतिक विविधता इसे एक आदर्श पर्यटन स्थल बनाती है। यहां की झीलें, मंदिर, आदिवासी संस्कृति और शांत वातावरण आत्मिक संतुष्टि प्रदान करते हैं। यदि आप भीड़ से दूर, एक सुकूनभरी और ऐतिहासिक यात्रा करना चाहते हैं तो बांसवाड़ा आपके लिए बिल्कुल सही जगह है।
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