सीकर जिले में स्थित हर्ष पर्वत को राजस्थान का केदारनाथ कहा जाता है। खाटूश्याम जी से मात्र 40 किलोमीटर दूर होने के कारण यह बाबा श्याम के दर्शन के बाद भक्तों के लिए घूमने के लिए एक बेहतरीन स्थान है। हर्ष पर्वत माउंट आबू के बाद दूसरा सबसे बड़ा पर्वत है। इसकी ऊंचाई 3100 फीट है। यह एक ऐतिहासिक पर्यटन स्थल है। इस पर्वत पर मौजूद शिव मंदिर को औरंगजेब की सेना ने नष्ट कर दिया था। इसके प्रमाण आज भी इस स्थान पर जाकर देखे जा सकते हैं। इसी हर्ष पर भगवान गणेश की दुनिया की एकमात्र अर्धनारीश्वर मूर्ति है, जिसे गणेशी अवतार भी कहा जाता है। इसके अलावा यहां भगवान शंकर का सफेद शिवलिंग और पंचमुखी शिवलिंग भी है। यहां दर्जनों मूर्तियां हैं जो 1048 साल पुरानी हैं।
इसलिए इसे राजस्थान का केदारनाथ कहा जाता है
आपको बता दें कि हर्ष पर्वत के ऊपर विशाल पवन चक्कियां हैं, दूर से देखने पर यह बेहद खूबसूरत लगती हैं, जैसे-जैसे आप इनके करीब जाते हैं, नजारा और भी खूबसूरत होता जाता है। प्रकृति की गोद में बसा हर्षनाथ मंदिर बेहद अद्भुत स्थान है। 3100 फीट की ऊंचाई से सूर्योदय और सूर्यास्त देखना अपने आप में एक अद्भुत अनुभव है, जो पूरी जिंदगी याद रहता है। लहरदार सड़कों पर लंबी ड्राइव के लिए यह जगह एक बेहतरीन डेस्टिनेशन पॉइंट है। बारिश के दिनों में यहां का नजारा और भी खूबसूरत हो जाता है।
अंधकासुर का वध करने के लिए लिया था स्त्री रूप
हर्ष नाथ शिव मंदिर के पुजारी विजय कुमार ने बताया कि पुराणों के अनुसार अंधकासुर नामक राक्षस ने तीनों लोकों पर विजय प्राप्त कर ली थी। अंधकासुर नामक राक्षस से भयभीत सभी देवता भगवान शिव के पास गए और इस समस्या के समाधान के लिए प्रार्थना की। भगवान शिव ने अंधकासुर का वध किया और उसका रक्त पीने के लिए दो सौ देवियों को प्रकट किया। भगवान गणेश का स्त्री रूप भी उनमें से एक था। तब भगवान गणेश ने स्त्री का रूप धारण किया। इसे उनका गणेशी या विनायकी रूप कहा गया। यह दुनिया की सबसे प्राचीन और एकमात्र अर्धनारीश्वर गणेश मूर्तियों में से एक है।
यह दुर्लभ स्थान खाटूश्याम जी के पास है। आपको बता दें कि भगवान गणेश की यह दुर्लभ मूर्ति हर्ष पर्वत पर है। यह धार्मिक दृष्टि से प्रसिद्ध होने के साथ-साथ ऐतिहासिक पर्यटन स्थल भी है। यहां भगवान शिव का एक दुर्लभ मंदिर और एक चमत्कारी भैरव मंदिर भी बना हुआ है। ये सभी मंदिर हर्ष पर्वत की चोटी पर बने हुए हैं। यह स्थान विश्व प्रसिद्ध धार्मिक स्थल खाटूश्याम से 40 किलोमीटर दूर है। इसके अलावा अगर आप खाटूश्याम जी से इस स्थान पर आते हैं तो बीच में जीण माता मंदिर भी आता है, आप वहां भी माता के दर्शन कर सकते हैं।
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