राजस्थान में महात्मा गांधी राजकीय अंग्रेजी माध्यम और राजकीय अंग्रेजी माध्यम विद्यालयों में शिक्षकों की कमी के कारण विद्यार्थियों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। शिक्षा विभाग अब निकटवर्ती विद्यालयों के शिक्षकों की मदद लेकर इसका समाधान करने पर विचार कर रहा है।
बदले में मिलेगा अतिरिक्त मानदेय
अंग्रेजी माध्यम विद्यालयों के लिए गठित समिति में शिक्षा मंत्री और निदेशक सहित मंत्रिमंडल के सदस्यों ने इस सुझाव पर विचार किया कि यदि विद्यालय में किसी विषय का शिक्षक नहीं है तो उस विषय को पढ़ाने के लिए निकटवर्ती किसी अन्य राजकीय विद्यालय के शिक्षक की मदद ली जाए। उसे शिक्षण कार्य की जिम्मेदारी देकर बदले में अतिरिक्त मानदेय जैसी व्यवस्था की जा सकेगी। ऐसे शिक्षक दोनों विद्यालयों में पढ़ा सकेंगे।
आवश्यकता के अनुसार खोले गए संकाय
बैठक में ग्राम पंचायत और शहरी कलस्टर के अनुसार प्रदेश के सभी विद्यालयों की आवश्यकता के अनुसार संकाय खोलने पर विचार किया गया। प्रदेश में चल रहे विज्ञान संकायों की कमी को देखते हुए विज्ञान संकाय को प्राथमिकता दी जाए। अंग्रेजी माध्यम विद्यालयों में आवश्यकता का आकलन कर विज्ञान संकाय को प्राथमिकता से खोलने पर भी विचार किया गया।
हिंदी माध्यम में पढ़ाई का अवसर
बैठक में निर्णय लिया गया कि नई शिक्षा नीति 2020 को लागू करते हुए सभी विद्यार्थियों को पढ़ाई का माध्यम चुनने का अवसर देना होगा। इसके मद्देनजर शैक्षणिक सत्र 2025-26 के लिए प्रदेश में संचालित सभी महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम के सरकारी स्कूलों का संचालन यथावत रखा जाए। साथ ही, विशेषकर छात्राओं को उनकी सुविधा और पसंद के अनुसार अंग्रेजी के साथ-साथ हिंदी माध्यम में भी पढ़ाई का विकल्प दिया जाए। ऐसी व्यवस्था हो कि कोई भी विद्यार्थी शिक्षा से वंचित न रहे। जिन ग्राम पंचायतों में पूर्व में हिंदी माध्यम के स्कूलों को अंग्रेजी माध्यम में परिवर्तित किया गया था, वहां हिंदी में पढ़ने वाले विद्यार्थी शिक्षा से वंचित रह गए थे। उनके लिए हिंदी और अंग्रेजी दोनों माध्यमों में दो शिफ्टों में अंग्रेजी माध्यम के स्कूल चलाने के विकल्प पर विचार किया गया।
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