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राजस्थान में अनोखी शादी! अग्नि की जगह बरगद के पेड़ को साक्षी मानकर लिए सात फेरे, जाने परंपरा के पीछे का रहस्य

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हिंदू समाज में जब विवाह होता है तो दूल्हा-दुल्हन अग्नि को साक्षी मानकर सात फेरे लेते हैं और जीवन भर एक-दूसरे का साथ निभाने की कसम खाते हैं, लेकिन करौली के एक युवक ने अपनी शादी में बरगद के पेड़ को साक्षी मानकर सात फेरे लेकर पर्यावरण संरक्षण की मिसाल कायम की है। करौली जिले के करणपुर क्षेत्र स्थित कैमोखरी गांव में आयोजित यह अनूठा विवाह समारोह देशभर में चर्चा का विषय बन गया है। यह विवाह 12 मई को हुआ।

धराड़ी परंपरा के तहत हुआ विवाह

दरअसल, आदिवासी समुदाय में धराड़ी विवाह की परंपरा है। इसमें दूल्हा-दुल्हन विवाह के समय कुल वृक्ष को साक्षी मानकर सात फेरे लेते हैं। यह परंपरा दशकों पुरानी है। बदलते समय के साथ ज्यादातर परिवारों ने इस परंपरा से दूरी बना ली है, लेकिन कई परिवार ऐसे भी हैं जिन्होंने इस परंपरा को जीवित रखा है। आदिवासी समुदाय में हर कुल का एक कुल वृक्ष होता है। उस कुल वृक्ष की रक्षा का संकल्प लेकर विवाह संपन्न कराया जाता है। अपनी परंपरा को जीवित रखते हुए करौली जिले के इस जोड़े ने नीम और बरगद के पेड़ को साक्षी मानकर विवाह किया। सत्येंद्र मीना और विनीता मीना ने पेश की मिसाल

करौली जिले के रहने वाले दूल्हे सत्येंद्र मीना और दुल्हन विनीता मीना ने यह अनोखी शादी की है। इस शादी के साक्षी समाज के सैकड़ों लोग बने। इस शादी में पर्यावरण संरक्षण और आदिवासी परंपरा का अद्भुत संगम देखने को मिला। शादी के दौरान बिल्कुल भी दिखावा नहीं हुआ। न ही बैंड-बाजा बजा और न ही आतिशबाजी की गई। मौजूदा समय में लोग ऐसे समारोहों में खूब दिखावा करते हैं। दिखावे के लिए लाखों रुपए खर्च कर दिए जाते हैं, लेकिन सत्येंद्र मीना और विनीता मीना ने समाज में एक नई पहल की है। बताया जा रहा है कि धराड़ी परंपरा के अनुसार यह शादी करौली जिले की पहली शादी है।

बारातियों को उपहार में दिए पौधे

दूल्हे सत्येंद्र मीना की बारात में गए सभी बारातियों को दुल्हन पक्ष की ओर से एक-एक पौधा दिया गया। बारातियों ने पौधे लेते हुए पौधे लगाने और उनकी देखभाल करने का संकल्प भी लिया। सत्येंद्र मीना सवाई माधोपुर जिले के खंडार क्षेत्र के बड़ौद गांव के निवासी हैं जबकि विनीता मीना करौली जिले के करणपुर क्षेत्र के कैमोखरी गांव की निवासी हैं। शादी के दौरान छपवाए गए निमंत्रण कार्ड में पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी दिया गया।

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